सोलह सिंगार

  इतरा रहा है ये मन मेरा करके सोलह सिंगार माथे पे चमक रहा है मेरे कुमकुम सुर्ख़ लाल आईने में दिखी हक़ीक़त और अब नहीं है...

संकट मोचन

      जिनको श्रीराम का वरदान हैं, गदा धारी जिनकी शान हैं बजरंगी जिनकी पहचान हैं, संकट मोचन वो हनुमान हैं।

घुंघरू

    तेरे पैरों में बसता हूँ गीत सुरीला बन कर थिरक उठता हूँ मगन कुछ बन ठन कर ग़र टूट कर बिखर गया तो कोई ग़म नहीं ठोकर...

गुफ्तगू

    चल पड़ें हैं राह पुरानी कुछ लम्हें निकाल के और जी रहे हैं आज हम फिर कुछ पल सुकून के कहने को थी कितनी बातें पर...

बाँसुरी

  तेरे मेरे रिश्ते की कोई पहचान नहीं राधे फिर भी मेरे रोम रोम में तू समाई है ज़ुबान से ना ले सकूँ मैं नाम तेरा इसलिए किसी...

राधे

    तेरे मेरे मिलने का राधे कोई संजोग नहीं तेरे मेरे नसीब में लिखी है बस ये दुखदाई विरह जब भी आए मेरे लब पर कभी नाम...

बाप्पा

    तू है मेरी वंदना मेरी हर मुराद तू है और मेरे हर नए आग़ाज़ का अंजाम तू है दुआ क़बूल हो जाए जो तेरे दर पर...

थोड़ा मैं संवार लूँ

    पीछे छोड़ फ़िक्र जमाने की आज ख़ुद को थोड़ा मैं संवार लूँ आईने से वफ़ा की कोई उम्मीद नहीं बस ख़ुद ही अपने को निहार लूँ

सिंदूरी टीका

    माथे पर दमके सिंदूरी टीका और अँख़ियों में फैल गया कजरा हाथों में है पी तेरे नाम की मेहंदी और बालों में सजा जूही का गजरा

उम्मीद की लौ

    झुकी हुई हैं नज़रें आज इंतेज़ार में तेरे डर हैं कहीं धड़कनें थम ना जाएँ उम्मीद की लौ मगर बुझने नहीं देंगे इंतेज़ार की घड़ियाँ शायद पल...

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