मैं हूँ

ख़ामोशी में बहती हुई हवा है तू चंचल गुज़रता एक तूफ़ान मैं हूँ तू ठहरी हुई ज़मीन तेरा अनंत आसमान मैं हूँ तू शांत सी बहती नदी प्रशांत सा...

माँ

तू ख़ुशक़िस्मत है तेरे पास ममता का सागर हैं हर परेशानी से तुझे ढक ले वो ऐसा आँचल है दुआओँ को समेटे अपने दोनो हाथों में लुटा...

तेरी अधूरी दास्तान हूँ मैं

तेरी अधूरी दास्तान हूँ मैं चंद लवजों की मेहमान हूँ मैं रूह में तेरी उतर के देखा फिर जाना की तेरी पहचान हूँ मैं देख ले जी भरके...

एक औरत पूर्ण हूँ मैं

मुस्कुराती हूँ मैं आजकल ना जाने क्यूँ हर बात पे इश्क़ तो है नहीं , हूँ मैं उम्र की उस दराज़ पे शायद अपना साथ मुझे...

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