हया तो गहना है औरत का नज़रों से मगर क़यामत वो ढाती है दुनिया की हसरत भरी निगाहों को अपने दामन में चुपके से समाती है

ख़ामोशी में बहती हुई हवा है तू
चंचल गुज़रता एक तूफ़ान मैं हूँ
तू ठहरी हुई ज़मीन
तेरा अनंत आसमान मैं हूँ

तू शांत सी बहती नदी
प्रशांत सा समंदर मैं हूँ
तू माने या ना माने
तेरे अनन्त मन के अंदर मैं हूँ

डाल पर बैठा तू एक ख़ामोश पंछी
चहचहाता हुआ पखेरू मैं हूँ
तेरा मेरा कोई मेल नहीं
फिर भी हर हाल में तेरा मैं हूँ

रास्ते पर चलते तेरे क़दम अधूरे
इस अधूरे रास्ते का सफ़र मैं हूँ
नीरव से तेरे मन को कर दे बेचैन
ऐसा ना ख़त्म होने वाला असर मैं हूँ

तू है एक अनकही दास्तान
तेरी ज़िन्दगी का सार मैं हूँ
मेरे बिन तू है अधूरा
तेरी रूह का जीवंत आधार मैं हूँ

वक़्त का ठहरा हुआ एक लम्हा है तू
उस लम्हे का अहसास मैं हूँ
हो जब इस जहाँ से परे तुम
और कोई नहीं तेरे पास मैं हूँ

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