अपनी ज़िंदगी में एक औरत बहुत से किरदार निभाती है। अपना सारा जीवन इन अपनाए ही रिश्तों को निभाने में अर्पण करती है। अपनों के लिए बहुत से त्याग करती है और कभी कमजोर नहीं पड़ती । जितनी अबला उसे समझा जाता है, उन सब विचारों को परे कर वो दिखा देती है की वो मानसिक तौर से कितनी मज़बूत है । “एक औरत पूर्ण हूँ मैं” कविता में मैंने एक औरत के दृष्टिकोण से बताने की कोशिश की है कि हर रिश्ते को निभाते हुए भी वो अपना अस्तित्व कभी नहीं भूलती , हर रिश्ते से पहले वो एक औरत है।

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