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Nisha Tandon

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An entrepreneur in HR field with previous work experience in education, hotels and training., I enjoy my journey of life trying to make my 16 year old daughter diagnosed with Down Syndrome, independent and well integrated into the society. Being a typical Taurean, I take life head on and am ready to face challenges with a perennial smile. A passionate poet, I love to spread sunshine through my poetry that touch souls.

वीराना

    वीराना छाया है हर ओर कि आहट सुनाई देती नहीं कोई वो ज़ोर ख़रोश भरी आवाज़ें ना जाने है कहाँ खोई।

क़यामत

      हया तो गहना है औरत का नज़रों से मगर क़यामत वो ढाती है दुनिया की हसरत भरी निगाहों को अपने दामन में चुपके से समाती है

ज़िंदगी के रंग

    बेरंग सी क्यूँ लगती है आज ज़िंदगी मुझे सुकून ढूँढने चली हूँ ना जाने क्या वजह हैं तनहाई का लेकर फ़ितूर आख़िर क्या होगा ये जाना कि...

तेरी दीवानी

      मेरे रोम रोम में तू समाया है इस तरह कि हर धड़कन सिर्फ़ तेरे नाम से गूंजती है तू तलाशता है तेरी धुन पर दीवानी हुई...

सिंगार

      पहन कर ये गहने कर लिया है सिंगार और नहीं होता अब पी का इंतेज़ार ताक रहे हैं राहे मन हो चला अब बेचैन क्यूँकि करने लगेंगे...

तेरी झाँझर

      इस ख़ामोशी को तोड़ दो ना तुम ज़रा अपनी झाँझर हलके से झनका दो मदहोशी में डूब जाएँ फिर ये समा ऐसे अपने नयनों से जाम छलका...

Press Article in The Literature Today

http://theliteraturetoday.com/author-nisha-tandon-press-release-theliterature-today/

Press Article in The Literature Today

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Interview with Cannonbeam

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