Nisha Tandon
ज़िंदगी के रंग
बेरंग सी क्यूँ लगती है आज ज़िंदगी मुझे
सुकून ढूँढने चली हूँ ना जाने क्या वजह हैं
तनहाई का लेकर फ़ितूर आख़िर क्या होगा
ये जाना कि...
तेरी दीवानी
मेरे रोम रोम में तू समाया है इस तरह कि
हर धड़कन सिर्फ़ तेरे नाम से गूंजती है
तू तलाशता है तेरी धुन पर दीवानी हुई...
तेरी झाँझर
इस ख़ामोशी को तोड़ दो ना तुम
ज़रा अपनी झाँझर हलके से झनका दो
मदहोशी में डूब जाएँ फिर ये समा
ऐसे अपने नयनों से जाम छलका...
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