मैं तेरे साथ हूँ जहाँ तू है
चलता रह जब तक क़दम तेरे साथ दें
थक कर रुका जहाँ मैं तुझे मिलूँगा वहीं
मायूस ना हो थाम लूँगा बढ़के तुझे
साथ देने का वादा किया था मैंने कभी
आज़मा के देख ले ना करेंगे निराश तुझे
इंतेज़ार की मेरे कोई इंतहा नहीं
हर इमतेहान मंज़ूर है तेरे लिए हमें
जज़्बात आख़िर हमारे बस में भी तो नहीं
ना समझ ख़ुद को तनहा एक पल के लिए
तेरी परछायी हूँ ना अकेला तुझे छोड़ूँगा कभी
ढल जाएगा दिन जब थम जाएँगे क़दम
ख़्वाब सा कोई सिमट कर तुझ में समा जाऊँगा कहीं
वो पल तेरे मेरे अपने होंगे
कोई और हमारे बीच फिर होगा नहीं
थोड़ा सा कुछ तू बयान करना थोड़ा सा कुछ हम कहेंगे
रास्ते फिर तेरे तनहा रहेंगे नहीं