हमसफर एक दूसरे के बिना अधूरे होते हैं। एक अगर दिन है तो दूसरा रात बन कर उसको पूर्ण करता है। दो अलग मिज़ाज़ के लोग ही एक दूसरे के पूरक होते है क्यूँकि एक की कमी दूसरा पूरा करता है। एक से न होकर भी वे एक दूसरे के लिए बने होते है। एक ज़मीन तो दूसरा अगर आसमान है तो वो क्षितिज पर मिलते है। यही भिन्नता उनको साथ जोड़ कर रखती है।
मैं हूँ एक ऐसी ही कविता है जिसमे दो लोग अलग होते हुए भी ज़िन्दगी में कदम से कदम मिला कर चलते हैं और अपनी मंज़िल तक पहुंच जाते है।
this is so well said Nisha…so beautifully you completed 2 people different in all aspects as completed for each other…. I learn a lot from you dear…stay happy and forever blessed…so happy to have u in my life dear
Thank you for your unconditional love Hema. You all are an important part of my journey. Stay well.
Wel dn. शब्दों के साथ चलते हुए चित्र भी तुम्हारी कविता से, मेल खाते हुए हैं। तुम्हारी अच्छी कोशिश रही, अपनी कविता को, अपनी ज़ुबानी बयान करना। 👌👌👏🙏
Thank you for your love and guidance always.