Nisha Tandon
तेरी अधूरी दास्तान हूँ मैं
तेरी अधूरी दास्तान हूँ मैं
चंद लवजों की मेहमान हूँ मैं
रूह में तेरी उतर के देखा
फिर जाना की तेरी पहचान हूँ मैं
देख ले जी भरके...
तेरे मेरे बीच
हाँ ...बात ये गुज़रे ज़माने की है
जिक्र यहाँ महज़ एक फ़साने की है
ना जाने कितना अरसा बीत गया
कुछ भूल गया कुछ याद रहा
उम्र की...
मुझे इजाज़त दे दे
थोड़ी सी अपनी तू मुस्कुराहट दे दे
वक़्त से निकाल के दो लम्हे दे दे
ज़रूरत नहीं मुझे किसी ख़ज़ाने की
अपनी बेफ़िक्री से निकाल के
बस ज़रा...
मैं तेरे साथ हूँ जहाँ तू है
मैं तेरे साथ हूँ जहाँ तू है
चलता रह जब तक क़दम तेरे साथ दें
थक कर रुका जहाँ मैं तुझे मिलूँगा वहीं
मायूस ना हो थाम...
तू ही तो हूँ मैं
तेरी हर जीत में मेरी दुआ है शामिल
तेरी हार में मैं तेरा हाथ थामे खड़ा हूँ
तेरी आँखो में बसा सावन हूँ मैं
हर आँसू जहाँ...
एक औरत पूर्ण हूँ मैं
मुस्कुराती हूँ मैं आजकल ना जाने क्यूँ हर बात पे
इश्क़ तो है नहीं , हूँ मैं उम्र की उस दराज़ पे
शायद अपना साथ मुझे...
Review by Plethora Blogazine
Plethora shall also homage those untouched themes, genres and sub genres with eclectic voices that are still waiting to be heard and narrative style...