संकट मोचन

      जिनको श्रीराम का वरदान हैं, गदा धारी जिनकी शान हैं बजरंगी जिनकी पहचान हैं, संकट मोचन वो हनुमान हैं।

ज़िंदगी के रंग

    बेरंग सी क्यूँ लगती है आज ज़िंदगी मुझे सुकून ढूँढने चली हूँ ना जाने क्या वजह हैं तनहाई का लेकर फ़ितूर आख़िर क्या होगा ये जाना कि...

क़यामत

      हया तो गहना है औरत का नज़रों से मगर क़यामत वो ढाती है दुनिया की हसरत भरी निगाहों को अपने दामन में चुपके से समाती है

पहचान

      मंज़िल की खबर नहीं रास्ते भी अनजान हैं वक़्त है मुट्ठी में और ढूँढनी अपनी पहचान है

खोया हुआ वक़्त

      ना जाने किसका मुझे इंतेज़ार है और ज़िंदगी क्यूँ इस क़दर बेज़ार है लौट कर आएगा खोया हुआ वक़्त है यक़ीं फ़िज़ाओं में देखो छाया फिर खुमार...

धुन प्यार की

    अभी छाया है जहाँ हर ओर सन्नाटा महफ़िल मेरे घर में यार की फिर सजेगी कुछ पल की ही हैं ये खामोशियाँ फ़िज़ा में फिर धुन प्यार...

सिंदूरी टीका

    माथे पर दमके सिंदूरी टीका और अँख़ियों में फैल गया कजरा हाथों में है पी तेरे नाम की मेहंदी और बालों में सजा जूही का गजरा

तेरी झाँझर

      इस ख़ामोशी को तोड़ दो ना तुम ज़रा अपनी झाँझर हलके से झनका दो मदहोशी में डूब जाएँ फिर ये समा ऐसे अपने नयनों से जाम छलका...

गुफ्तगू

    चल पड़ें हैं राह पुरानी कुछ लम्हें निकाल के और जी रहे हैं आज हम फिर कुछ पल सुकून के कहने को थी कितनी बातें पर...

बाप्पा

    तू है मेरी वंदना मेरी हर मुराद तू है और मेरे हर नए आग़ाज़ का अंजाम तू है दुआ क़बूल हो जाए जो तेरे दर पर...

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