वीराना
वीराना छाया है हर ओर
कि आहट सुनाई देती नहीं कोई
वो ज़ोर ख़रोश भरी आवाज़ें
ना जाने है कहाँ खोई।
तेरी दीवानी
मेरे रोम रोम में तू समाया है इस तरह कि
हर धड़कन सिर्फ़ तेरे नाम से गूंजती है
तू तलाशता है तेरी धुन पर दीवानी हुई...
कजरारे नयन
मन मोह लिए हैं कितने इन कजरारे नयनों ने
हर अदा पर इनकी दिल कितने बेताब हुए हैं
जगा कर प्यास कभी ना बुझने वाली
पर्दे में...
पहचान
मंज़िल की खबर नहीं
रास्ते भी अनजान हैं
वक़्त है मुट्ठी में और
ढूँढनी अपनी पहचान है
उम्मीद की लौ
झुकी हुई हैं नज़रें आज इंतेज़ार में तेरे
डर हैं कहीं धड़कनें थम ना जाएँ
उम्मीद की लौ मगर बुझने नहीं देंगे
इंतेज़ार की घड़ियाँ शायद पल...
इंतेज़ार
राह निहार रही हूँ मैं ना जाने कब से
ख़त्म नहीं होती ये घड़ियाँ इंतेज़ार की
माथे पर शिकन और बेचैनी दिल में लिए
स्वागत में खड़ी...
धुन प्यार की
अभी छाया है जहाँ हर ओर सन्नाटा
महफ़िल मेरे घर में यार की फिर सजेगी
कुछ पल की ही हैं ये खामोशियाँ
फ़िज़ा में फिर धुन प्यार...
तेरी झाँझर
इस ख़ामोशी को तोड़ दो ना तुम
ज़रा अपनी झाँझर हलके से झनका दो
मदहोशी में डूब जाएँ फिर ये समा
ऐसे अपने नयनों से जाम छलका...
सिंगार
पहन कर ये गहने कर लिया है सिंगार
और नहीं होता अब पी का इंतेज़ार
ताक रहे हैं राहे मन हो चला अब बेचैन
क्यूँकि करने लगेंगे...
खोया हुआ वक़्त
ना जाने किसका मुझे इंतेज़ार है
और ज़िंदगी क्यूँ इस क़दर बेज़ार है
लौट कर आएगा खोया हुआ वक़्त है यक़ीं
फ़िज़ाओं में देखो छाया फिर खुमार...