सोलह सिंगार
इतरा रहा है ये मन मेरा करके सोलह सिंगार
माथे पे चमक रहा है मेरे कुमकुम सुर्ख़ लाल
आईने में दिखी हक़ीक़त और अब नहीं है...
कजरारे नयन
मन मोह लिए हैं कितने इन कजरारे नयनों ने
हर अदा पर इनकी दिल कितने बेताब हुए हैं
जगा कर प्यास कभी ना बुझने वाली
पर्दे में...
कान्हा
जब भी मुझे तेरी याद आई कान्हा
तेरी बांसुरी की धुन कर गई दीवाना
छोड़ लोग लाज मैं दौड़ी चली आई
बचपन की सखियाँ भी हुई पराई
माँ
माँ की परिभाषा क्या कोई समझ पाया है
छोटे से लफ़्ज़ में कितनी गहराई छुपी है
घूम आएँ भले जहाँ सारा पर मंज़िल मिलती नहीं
क्यूँकि हर...
तेरी दीवानी
मेरे रोम रोम में तू समाया है इस तरह कि
हर धड़कन सिर्फ़ तेरे नाम से गूंजती है
तू तलाशता है तेरी धुन पर दीवानी हुई...
वीराना
वीराना छाया है हर ओर
कि आहट सुनाई देती नहीं कोई
वो ज़ोर ख़रोश भरी आवाज़ें
ना जाने है कहाँ खोई।
क़यामत
हया तो गहना है औरत का
नज़रों से मगर क़यामत वो ढाती है
दुनिया की हसरत भरी निगाहों को
अपने दामन में चुपके से समाती है
पहचान
मंज़िल की खबर नहीं
रास्ते भी अनजान हैं
वक़्त है मुट्ठी में और
ढूँढनी अपनी पहचान है
धुन प्यार की
अभी छाया है जहाँ हर ओर सन्नाटा
महफ़िल मेरे घर में यार की फिर सजेगी
कुछ पल की ही हैं ये खामोशियाँ
फ़िज़ा में फिर धुन प्यार...
ज़िंदगी के रंग
बेरंग सी क्यूँ लगती है आज ज़िंदगी मुझे
सुकून ढूँढने चली हूँ ना जाने क्या वजह हैं
तनहाई का लेकर फ़ितूर आख़िर क्या होगा
ये जाना कि...